कौन है अनंत कुमार सिंह?

जानिये बाहुबली छोटे सरकार के जीवन-सफर, राजनीति और विवाद से सम्बंधित|

Ayush Gupta

11/2/2025

1. आरंभिक जीवन

अनंत कुमार सिंह का जन्म बिहार के बारह क्षेत्र के नदवान गाँव में हुआ था; उन्होंने बाद में मोकामा विधानसभा क्षेत्र से राजनीति में कदम रखा। उनके परिवार की पृष्ठभूमि में सामाजिक-राजनीतिक दबदबे की छाप थी, जिसने उनकी राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों को आकार दिया।

2. राजनीतिक शुरुआत और विधायक पद

अनंत सिंह पहली बार 2005 में जनता दल (यू) (JDU) के टिकट पर मोकामा से विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 2010 और 2015 में भी इसी सीट से जीत दर्ज की। 2020 में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के माध्यम से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की।

3. विवादों का दौर

उनकी राजनीतिक-सामाजिक छवि विवादों से घिरी रही है। 2020 के चुनाव हलफनामे के अनुसार उनके विरुद्ध लगभग 38 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या, अपहरण एवं अन्य गंभीर आरोप शामिल थे। इसके अलावा उनके संपत्तियों की मात्रा भी चर्चा में रही — 2015 के हलफनामे में उनकी कुल संपत्ति लगभग ₹28 करोड़ से अधिक थी।

4. “बहुबलि” से नेता तक

बारह क्षेत्र और मोकामा विधानसभा क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत रही। स्थानीय राजनीति में उनकी भूमिका को अक्सरबहुबलि नेताके रूप में देखा गया हैजहाँ सामाजिक-जटिलताओं, दबदबे और जमीन-संपदा से जुड़ी राजनीति का संगम हुआ।

5. नवीनतम घटनाक्रम: गिरफ्तारी और चुनावी परिप्रेक्ष्य

कामा क्षेत्र में आयोजित विधानसभा चुनाव के ठीक पहले, अनंत कुमार सिंह को दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया है। उनकी गिरफ्तारी एक बड़ी कार्रवाई थी जिसमें लगभग 150 CAPF जवानों की टीम शामिल थी। इस घटना के बाद प्रशासन ने मोकामा क्षेत्र में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी है तथा चुनाव आयोग की निगरानी बढ़ाई गई है।

6. चुनावी महत्व

2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में उन्होंने फिर से मोकामा सीट से नामांकन किया है। इस बीच उनके खिलाफ आपराधिक पृष्ठभूमि, कानून-व्यवस्था के सवाल और राजनीतिक प्रभाव-क्षेत्र को लेकर विवाद और चर्चा बढ़ी है।

अनंत कुमार सिंह की कहानी बिहार की राजनीति-संस्कृति की जटिलता को दर्शाती हैजहाँ विकास, जात-समर्थ, दबदबा और अपराध-राजनीति एक साथ चलते हैं। चाहे आप उनके समर्थक हों या आलोचक, यह कहना कठिन नहीं कि उनकी मौजूदगी मोकामा क्षेत्र-विधानसभा और बिहार-राजनीति में मायने रखती है। अगर आगामी वक्त में कानून-व्यवस्था, राजनीतिक जवाबदेही और चुनावी प्रतिस्पर्धा पर बदलाव आते हैं, तो इस तरह की स्थितियाँ बदलने का संकेत हो सकती हैं।

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